Finding Myself
अपने वजूद को ढूंढने मै चला
दिवानगी के शोर में
कुछ दर्द मिला, रंजिशें मिलीं
न मांगी हुई, वो मंज़िलें मिलीं
तन्हा भटकता रहा
मिला तो बस खोख्ला अक़्स मिला
अपने वजूद को ढूंढने मै चला
ज़हन के सन्नाटे मे
इक ख़ामोश मोड़ से यूं गुज़रा ही था
सिस्कियों के सैलाब मे
यूं लगा कहीं दूर से इक सदा आई
"न भटक मुसाफ़िर इधर उधर,
इस गली-कूचे,
यूं दर बदर
यहीं हूँ मैं तेरे साथ, तेरी तन्हाई में,
मैं, तेरा वजूद,
तेरा शख़्स, तेरा अक़्स, तेरी पहचान
यहीं हूँ तेरे अंदर,
तेरी खोई, सूफ़िआना रूह की गहरायी में"
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home