Tuesday, June 17, 2014

Alone

जंग लड़ता रहा 
अकेला बहते अब्र से 
और यहीं जन्नत-नुमा खूबसूरती 
से वाकिफ़ न हुआ 

I stood there waging -
a lone battle with passing clouds -
and missed being aware
of heavenly beauty here on earth


Friday, June 06, 2014

Khoj...Amrit ki

इक बूँद तेरे इश्क़ की 
रूह की प्यास बुझा जाती है 
क्यों छीनता है फिर 
मुझसे ये अमृत, जो है तू?  

one drop of your love
quenches my soul
why, then, do you deprive me
of this elixir that's you?


Wednesday, June 04, 2014

Stunned

जन्नत की गहराईयों से, 
माज़िन से खेलते हुए ,
ज़मीं पर अन्वार कुछ यूं उतरा 
गौहर है या आफ़्रोज़ ,
आफ़्ताब है या जानिन-ए-अल्ताफ़ 
नहीं पता, नहीं पता… 




Monday, June 02, 2014

Finding Myself

अपने वजूद को ढूंढने मै चला
दिवानगी के शोर में 
कुछ दर्द मिला, रंजिशें मिलीं 
कहीं ना ढूंढी हुई, 
न मांगी हुई, वो मंज़िलें मिलीं 
तन्हा भटकता रहा 
मिला तो बस खोख्ला अक़्स मिला 

अपने वजूद को ढूंढने मै चला
ज़हन के सन्नाटे मे 
इक ख़ामोश मोड़ से यूं गुज़रा ही था 
सिस्कियों के सैलाब मे
यूं लगा कहीं दूर से इक सदा आई 
"न भटक मुसाफ़िर इधर उधर, 
इस गली-कूचे, 
यूं दर बदर
यहीं हूँ मैं तेरे साथ, तेरी तन्हाई में,
मैं, तेरा वजूद, 
तेरा शख़्स, तेरा अक़्स, तेरी पहचान
यहीं हूँ तेरे अंदर, 
तेरी खोई, सूफ़िआना रूह की गहरायी में"     







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